अतीत के पन्ने - भाग 41

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आलेख पुरी रात न सो पाया।और सुबह होते ही छाया से जाकर बोला कि कुछ कोचिंग का सामान लेने जाना होगा दिल्ली।।छाया ने कहा अच्छा ठीक है सब खाना बना कर रख देती हुं आते हुए रात होगी।।आलेख ने कहा अरे ऐसा करना कल सुबह जल्दी आ जाना।छाया ने कहा हां, ठीक है मैं अपने घर हो आऊंगी।आलेख ने कहा हां ठीक है।आलेख ने मन में सोचा हे भगवान मैंने शायद झुठ बोला।।।फिर छाया सब काम करके चली गई।कुछ देर बाद ही पिया हवेली आ गई।।और आते ही बोली कि वकील साहब आए नहीं?आलेख ने कहा हां,आ रहे हैं।क्या जरूरत