शाकुनपाॅंखी - 14 - रातभर सो न सका वह

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21. रातभर सो न सका वह हाहुलीराय चाहमानों का सामन्त था पर वह इस समय नाराज़ होकर काँगड़ा में रह रहा था। पृथ्वीराज के सामन्त जैतराव ने भरी सभा में उसे श्वान कह दिया था। उसके अहं को ठेस लगी और उसने दिल्लिका और अजय मेरु से अपने को अलग कर लिया। पृथ्वीराज ने हाहुलीराय को मनाने के लिए चन्द को तैयार किया ।चन्द यह जानते थे कि हाहुलीराय को अपने पक्ष में करना कठिन है। पर यह आपत्ति काल था। सैन्य संगठन को शक्तिशाली बनाना आवश्यक था। धरती की पुकार को अनुभव करते हुए वे काँगड़ा पहुँचे । चन्द