वजूद - 15

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भाग 15 शंकर जिद मत करो, तुम्हारे भैया के आने के बाद ही मिलेगा। शंकर रूठकर वहां से चला जाता है और बाहर खाट पर जाकर बैठ जाता है। कुसुम रसोई से उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर उठती है और एक प्लेट में सभी पकवान थोड़े-थोड़े लेकर आती है और शंकर के पास बैठ जाती है। फिर शंकर से पूछती है- बहुत भूख लगी है मेरे बेटे को ? भाभी इन पकवानों की खूशबू ही इतनी अच्छी है कि किसी को भी भूख लग जाएगी। थोड़ा सा दो ना। नहीं का मतलब नहीं होता है शंकर। कुसुम ने कहा।