वजूद - 12

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भाग 12 मैं शंकर हूं। वो पास के गांव में बाढ़ आई थी, मेरा पूरा घर बह गया। हां, हां ठीक है यहां क्यों सो रहे हो। जाओ कहीं ओर जाओ। शंकर वहां से उठा और चला गया। उसने सोचा एक बार फिर साहब से जाकर मिलता हूं और उन्हें समझाता हूं कि उसके पास कोई दस्तावेज नहीं है। वो उसे रूपए दे दे। कम से कम उसके पास रहने और खाने का कुछ ठिकाना हो जाएगा। यह सोचकर शंकर  फिर अपने गांव की ओर चल दिया। गांव पहुंचने के बाद वो सीधा कलेक्टर ऑफिस के लिए रवाना होता है।