वजूद - 10

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भाग 10 वक्त की एक करवट ने क्या से क्या कर दिया था। शंकर ना खुद को संभाल पा रहा था और ना ही अपने भैया और भाभी की याद को अपने दिल से निकाल पा रहा था। वो खुद को कोस रहा था कि आखिर वो शहर गया ही क्यों ? वो शहर ना जाता तो वो अपने भैया और भाभी को बचा सकता था। वो होते तो घर फिर से बनाया जा सकता था, पर अब उसके पास अफसोस करने के सिवाय कुछ नहीं था। उस पत्थर पर बैठे शंकर के मन में कई ख्याल थे। दिन ढला,