वजूद - 3

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भाग 3 वहीं तो भैया आज घर पर हो तो थोड़ा आराम कर लो रोज तो खेत में काम ही करते हो। ये काम तो हम यूं ही चुटकियों में कर देंगे। लाइए हमें दीजिए हम चारा डाल देते हैं। शंकर ने हरी की बात को काटते हुए कहा। अब तू मानने वाला तो हैं नहीं चल तू ही कर ले। हरी फिर से खाट पर बैठते हुए बोला। शंकर ने फिर से गमछा अपनी कमर में बांधा और गाय को चारा डाल दिया। गाय को चारा डालने के बाद उसी गमछे से अपना पसीना पोंछते हुए बोला- अरे बाप