14. सभा में हल्ला मच गया सज्जित सभागार इत्र और चन्दन की सुगन्ध से महमहा रहा है। राजा और राजपुत्र सज्जित मंच पर अपनी आभा बिखेर रहे हैं। कान्यकुब्ज के सामन्त एवं अधिकारी अपने आसनों पर बैठ चुके हैं। सभी सन्नद्ध चौकन्ने । महाराज भी आकर बैठे। सभी ने उनका स्वागत किया। सभी की आँखें मंच के भीतरी द्वार पर लग गई। राजपुत्री की आकांक्षा पाले हुए राजपुत्रों का हृदय धक-धक कर रहा है । चारण विरुद बखानने के लिए शब्दों पर धार चढ़ा रहे हैं। महाराज की दृष्टि बार बार द्वार की ओर जाती । प्रतीक्षा का एक एक