मनोदशा एक अवदशा

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रिद्धिमा अब धीरे-धीरे अंदर से ही टूट रही थी वह बिखर तो चुकी थी पर उसे समेटने वाला जैसे कोई नहीं था वह अपने दिल के राज किसी को बता भी नहीं पाती थी कि वह किस मनोदशा से गुजर रही है और इस मनोदशा कि उस पर कैसी अवदशा हो गई हैबाहर से एकदम साधारण से दिखने वाली रिद्धिमा अंदर से बहुत ही गहरी चोट खाए हुई थी उसने इसके लिए अपना सारा जीवन व्यतीत किया उसका हमसफर रितेश जिसके लिए उसने अपने रिश्ते नाते अपना जीवन सभी न्योछावर किया अब वही रितेश उसे अपने जीवन में कोई मूल्य