नेताजी जिनका जीवन खुद उपदेश है 15 अगस्त सन 1947 को जब लाल किले से आजादी का परचम फहराया जा रहा था, एक शायर ने कहा था- आज हम आजाद हैं हिंदुस्ता आजाद है, यह जमीन आजाद है यह आसमा आजाद है! गुरुद्वारे पर कलीसा पर हरम पर देर पर, चाहे जिस मंजिल पर ठहरे कारवां आजाद है !!कारवां को आजादी दिलाने वाले शहीदों के नाम पर अभी हमारे इर्द-गिर्द जिन व्यक्तित्व को महिमा मंडित किया जाता है, वे सब एकपक्षीय कार्यवाही अर्थात विनम्र और अहिंसक सेनानियों में से हैं ।लेकिन जिन लोगों को यथार्थ में स्वतंत्रता सेनानी यानी सैनिक