केशव एक अनूठा भाषा संसार बनाते हैं आचार्य केशव दास जी की भाषा पर बात करते समय अनेक अनेक पहलुओं पर गौर करना आवश्यक है। केशव केवल एक साधारण कवि नहीं थे वे तो परंपराओं के सेतु थे, एक युग के प्रतिनिधि थे और हिंदी के आरंभिक स्वरूप के सही निर्मित में से एक थे । राजाश्रयी कवियों की एक बहुत बड़ी कमजोरी यह होती थी कि वह उसे औपचारिक माहौल में घिरे होते थे, जहां जन भाषा का प्रवेश निषेध होता था। लेकिन केशव की कविता में व्यर्थ का दिखावा और मात्रा सीमित समाज संभ्रांत समाज में व्यवहार्थ भाषा