मुक्त हो जाना चाहा मैने

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हाँ.. मुक्त हो जाना चाहा मैने सारे स्नेह बंधनो से अपने ही बनाये तमाम घेरो से और तुम्हारे बनाये मर्यादा की चौखटों से मुक्त होकर उड़ जाना चाहती हूँ धुंए की तरह दूर आसमान के अनाम कोनो तक जहाँ कोई अस्तित्व ही न बचे मेरे वजूद का   हाँ.. वैसे भी क्या हूँ मैं पृथ्वी का एक छोटा-सा अणु नही नही अणु कहना ठीक नही होगा अणु से भी सूक्ष्म एक नाभकीय कण या उससे भी कम बहुत कम बिल्कुल कम   अणु भी क्या परमाणु का हिस्सा जैसे में तुम्हारे परिवार का एक सुक्ष्म सा महत्वहीन कण मै विस्फोट