वो माया है.... - 27

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(27) पुष्कर की लाश बाहर दालान में रखी थी। उसे शमशान ले जाने की तैयारी चल रही थी। बद्रीनाथ की तबीयत के बारे में सुनकर सभी और परेशान हो गए थे। बात कर रहे थे कि कितनी बड़ी विपदा आई है। बाप को बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल होना भी नसीब नहीं हुआ। रविप्रकाश और दीनदयाल एक तरफ खड़े थे। रविप्रकाश ने कहा,"बाबू जी बड़ी दुखद बात है। अरे अभी शादी को एक हफ्ता भी नहीं हुआ। पुष्कर दुनिया छोड़कर चला गया।"दीनदयाल ने इधर उधर देखा। फिर धीरे से बोले,"तुम्हें बताया था ना श्राप वाली बात। वही सच हो