आज़ादी बाद के इन 76 सालों में तमाम तरह की उन्नति करने के बाद आज हम बेशक अपने सतत प्रयासों से चाँद की सतह को छू पाने तक के मुकाम पर पहुँच गए हैं मगर बुनियादी तौर पर हम आज भी वही पुराने दकियानूसी विचारों वाले पिछड़े के पिछड़े ही हैं। आज भी हमारे देश के गाँवों और अपवाद स्वरूप कुछ एक शहरों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों के साथ जो भेदभाव बरसों पहले से होता आया है, कमोबेश वही सब अब भी किसी न किसी रूप में जारी है। इस तरह के भेदभाव के पीछे एक तरफ़ घरों में