हमेशा की तरह इस साल भी मैं अपने ननिहाल जा रही थी। बस मैं बैठने के बाद वही खिड़की वाली सीट पर बैठना 10:00 बजे बाद गाड़ी का होटल पर रुकना और खाना खाना। उसके बाद सुबह 6:00 बजे का इंतजार करना और हरियाली को निहारना खूब लुभाता था। 7:00 बजे तक गाड़ी का फिर होटल मैं रुकना और गरमा गर्म पोहे का लुत्फ उठाना बहुत ही आनंदमय लगता था। महाराष्ट् पहुँचने के बाद 8:00 बजे बस का चाँदनी चौक पर रुकना। और अपने गांव के लिए रवाना होना। एक घंटे बाद फिर बस का बस स्टैंड पर रुकना और