जब मन की आंखें खुली

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सेठ उमाशंकर खानदानी रईस था। वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। प्रकृति की अनमोल संपदा का उसकी निगाह में कोई मोल नहीं था, वह अपने व्यापार में लाभ के लिए प्रकृति का दिल खोल कर दोहन करता था। रोज व्यापार के सिलसिले में भाग दौड़ की जिंदगी से तंग आकर वह शांति और सुकून पाने के लिए गर्मियों के मौसम में जयपुर घूमने जाता है। जयपुर के होटल का एक कमरा किराए पर लेता है। और पूरा जयपुर घूमने के बाद भी उसे जब सकून शांति नहीं मिलती है, तो वह इसलिए एक रात जयपुर के होटल से अपनी