जन्म कुंडली के अनुसार भूत प्रेत के अभिष्ट योग

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# सूर्य अथवा चंद्र तृतीय भाव मे पापी ग्रहों के साथ है तो जातंक बीमार रहेगा और कुछ समय पश्चात उसकी मृत्यु हो जाएगी। #यदि चंद्र अष्ठम भाव मे के स्वामी के साथ केंद्र में स्थित है एव पॉपग्रह के साथ है तो शीघ्र जीवन समाप्त हो जाएगा।।# यदि चन्द्रमा सप्तम भाव मे मंगल एव शनि है तथा राहु लगनस्थ है जातंक की कुछ दिनो मे ही मृत्यु हो जाएगी।।ज्योतिष के अनुसार प्रेत बाधा -*यदि कुंडली मे चंद्रमा अथवा लग्न लग्नेश पर राहु केतु का प्रभाव है तो प्रेत बाधा की प्रबल संभावना होती है।।*कुंडली के सप्तम अथवा अष्ठम भाव