गोरक्षा आन्दोलनभारतके स्वतंत्र होनेके बाद भी गोहत्या का कलंक न मिटनेसे भाईजी व्यथित थे। इसलिये जब कोई भी गोहत्या निरोधके लिये आन्दोलन करता तो भाईजी उसमें पूर्ण सहयोग देते। किन्तु सभी लोगोंका सामूहिक प्रयास न होनेसे सरकारपर विशेष दबाव नहीं पड़ता था। आषाढ़ सं० २०२३ (सन् १९६६) में जब भाईजी स्वर्गाश्रममें थे. दिल्लीके प्रमुख कार्यकर्ता भाईजीके पास आये एवं गोरक्षा के लिये सभी का एक साथ प्रयास हो इसके लिये भाईजीको चेष्टा करनेकी प्रार्थना की सभी धर्माचार्यों सम्प्रदायों एवं राजनीतिक दलोंका एक मंचसे कार्य करनेके लिये राजी करना एक असाधारण कार्य था। उन्हीं दिनों श्रीप्रभुदत्तजी ब्रह्मचारी अपनी बद्रीनाथ यात्रा से