माता-पिता के स्वर्गवास होने के बाद बलवंत को उसकी मुंह बोली बहन पाल पोस कर बड़ा करती है। और बलवंत की सुंदर सुशील घरेलू लड़की सुलोचना से शादी करवा देती है। बलवंत की रोजी-रोटी थी अपने गांव से दूर साइकिल से सब्जी मंडी पहुंचकर ट्रैकों से सब्जी के बड़े-बड़े भारी-भारी बोरे बोरे उतारना।जब कभी बलवंत एक दिन भी मेहनत मजदूरी करने सब्जी मंडी नहीं जाता था, तो दोनों पति-पत्नी की भूख मरने की नौबत आ जाती थी।और जब बीमारी की वजह से बलवंत सब्जी मंडी मेहनत मजदूरी करने नहीं जा पाता था तो बलवंत सुलोचना गांव में मांग मांग कर