आज की अहिल्या

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पत्थर बनने से इंकार करती डॉ. इंदु झुनझुनुवाला की 'आज की अहिल्या' [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] सुप्रसिद्ध साहित्यकार रमणिका गुप्ता जी बिहार की कोलियारी के मज़दूरों के लिए काम करतीं थीं। वे एक गाँव में सरपंच के यहाँ गईं तो उनकी बहू घूंघट निकाले एक बच्चे को गोद में लेकर आई तो सरपंच ने परिचय करवाया, ''ये मेरी बहू है इसकी गोद में जो है वह इसका घरवाला है। '' ज़ाहिर है लेखिका के खुले मुंह को देखकर उसने बताया, ''बेटे की शादी इससे इसलिए कर दी है कि ये हमारे खेतों में काम करेगी।'' मुझे याद आ रही है