जीवन साथी

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15 वर्ष अपने बचपन की सहेलियों से दूर रहने के बाद शालू का अपने बचपन की सहेलियों से मिलने का बहुत मन करता है और वह देर रात तक अपनी सहेलियों के साथ बिताए खूबसूरत बचपन के दिनों को याद करते-करते सो जाती है।और सुबह उठकर अपनी पुरानी डायरी ढूंढती है, जिसमें उसकी बचपन कि सहेलियों के नंबर लिखे थे। उसकी बचपन की सब सहेलियों के नंबर बंद हो चुके थे। उन सहेलियों के फोन नंबर ना मिलने के बाद शालू कि बचपन कि सहेलियों से मिलने की उम्मीद टूट जाती है और वह एक जगह गुमसुम घंटों बैठी रहती