अपना आकाश - 32 - बचा कर रखता हूँ दिव्यास्त्र

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अनुच्छेद- 32 बचा कर रखता हूँ दिव्यास्त्र कोतवाल वंशीधर ने नागेश लाल के पैसे से बनारस में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया। पंडितों को दिलखोल कर दान दिया। पंडित चिन्ताहरण भी प्रसन्न हुए। वंशीधर आज कोतवाली के अपने आवास में बैठे चाय पी रहे हैं। सुबह नौ बजे का समय । मानवाधिकार आयोग हर कीमत पर मंगल की मौत के रहस्य से पर्दा हटाना चाहता है। हर सप्ताह कोई न कोई चिट्टी आ ही जाती। 'क्या मैं भी अपना अस्त्र उठाऊँ?" वे बुदबुदाए। 'नहीं, नहीं, ऐसा न करना। उनके मन ने ही संकेत किया। सच और झूठ का