राष्ट्रपति द्वारा गीताप्रेस के नये द्वार का उद्घाटनजयदयालजी गोयन्द का और पोद्दारजी बहुत दिनो से यह सोच रहे थे कि गीताप्रेस एवं 'कल्याण' के आदर्श तथा गौरव के अनुरूप ही उसके मुख्य द्वार का निर्माण हो। सं० 2012 में वे इस योजना को सफल कर सके। गीताद्वार के निर्माणमें देश की गौरवमयी स्थापत्य कला के मूल प्रतीक प्राचीन मन्दिरों से प्रेरणा ली गयी। प्रवेशद्वारमें सात प्रकार के प्रतीकों का समावेश किया गया।(१) उपनिषदों तथा गीता के वाक्य के रूपमें शब्द-प्रतीक।(२) वृषभ, सिंह तथा नाग के रूपमें जन्तु प्रतीक। (३) कमल के रूपमें पुष्प-प्रतीक। (४) स्वस्तिक के रूपमें चिन्ह प्रतीक। (५)