वो माया है.... - 8

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(8)छत पर ठंड थी लेकिन दिशा पूरे दिन अपने कमरे में बंद ऊब गई थी। इसलिए कमरे के बाहर छत पर कुर्सी डालकर बैठ गई थी। पुष्कर ने उसे समझाने की कोशिश की थी कि नवंबर का आखिरी चल रहा है। शाम ढलने के बाद ठंड हो जाती है। वह बीमार पड़ जाएगी। पर वह मानी नहीं। पुष्कर ने उसे एक शॉल ओढ़ाया। खुद भी एक शॉल ओढ़कर उसके पास बैठ गया। दोनों चुप थे। दिशा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा,"सुबह होते ही इतना कुछ हो गया। उसकी वजह से सरदर्द हो गया था। विशाल भइया ने दवा लाकर दी।