(1)बद्रीनाथ सिन्हा के घर के बाहर ढोल वाले खड़े थे। बद्रीनाथ के छोटे बेटे पुष्कर की बारात बहू को विदा कराकर आने वाली थी। बहुत सालों बाद बद्रीनाथ के परिवार में यह शुभ घड़ी आई थी। इसलिए बहू का स्वागत ढोल बजाकर किया जाना था। ढोल वाले तय किए गए समय पर आ गए थे। लेकिन अभी तक बारात लौटकर नहीं आई थी। राजू ने बीड़ी का आखिरी कश लिया। बीड़ी जमीन पर फेंककर पैर से बुझाते हुए बोला, मुन्ना ज़रा अंदर पता करो अभी कितनी देर है। घंटा भर से ऊपर तो हमको आए हुए हो गया होगा। अभी तक