हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (श्रीभाई जी) - 41

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आत्महत्या से बचानेके प्रसंगभाईजीने कितने व्यक्तियों को आत्महत्या करने से बचाया– इसकी गणना सम्भव नहीं है क्योंकि ऐसे प्रसंग वे प्रायः गुप्त रखते थे। उनकी भरसक यही चेष्टा रहती थी कि किसी की व्यक्तिगत बात का अन्य व्यक्ति को पता न लगे। ऐसे कुछ प्रसंग यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं :-- श्रीभाईजी से जिन्होंने एक दिन सेवा ग्रहण की थी, किन्तु आज जो स्वास्थ्य एवं सम्पन्न अवस्थामें हैं, ऐसे एक सम्भ्रान्त व्यक्ति ने कुछ ही दिनों पहले श्रीभाईजी के लीलालीन होने के पश्चात् यह घटना रूद्ध-कण्ठ से सुनायी थी। उनके नेत्रों में जल था, हिचकियों के कारण शरीरमें कम्पन