आसाम यात्रामें एक चमत्कारकार्तिक ० कृष्ण पक्ष संवत् 2003 (अक्टूबर, 1946) में भाईजी गोरखपुर से आसाम यात्रापर गये। वहाँ एक बार गोलाघाट से तिनसुकिया बस द्वारा जा रहे थे। रात्रिका समय था। एक स्थानपर सँकरे रास्तेसे बस जा रही थी, उसी समय एक यात्री जोरसे चिल्लाया– पानी-पानी। जोरसे अचानक चिल्लाने से ड्राइवर का हाथ कॉप गया और स्टियरिंग हिल गया। बस ढालपर थी, बसका पहिया स्लिप कर गया और बस खाई की ओर जाने लगी। उस समय ईश्वर के अतिरिक्त और कोई सहायक नहीं था। भाईजी ने हाथ ऊपर उठाकर 'नारायण-नारायण', 'नारायण-नारायण' का उच्च स्वर से घोष किया। नारायण नामकी