नोआखाली काण्ड से पीड़ित हिन्दुओं की सहायतासं० 2003 (सन् 1946) में भारत-स्वतंत्रता प्राप्तिके समय देशमें एक हृदय-विदारक दृश्य उपस्थित हो गया। हजारों-हजारों व्यक्ति काल के मुँहमें चले गये, असंख्य लोगों का घरबार सभी कुछ चला गया, बहू-बेटियों पर हृदय-विदारक अत्याचार हुए। उस समय के दृश्य की आज भी स्मृति आनेपर रोंगटे खड़े जाते हैं। भाईजी जैसे संवेदनशील व्यक्ति के लिये निरपराध जनतापर ऐसे अमानुषिक अत्याचार देखकर चुप रहना संभव ही नहीं था। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान से भागकर आये हुए लोगों की करुण-कथाएँ सुनकर भाईजी के नेत्रों से अश्रु-धारा बहने लगती थी। भाईजी हर संभव प्रयास करनेमें लग गये। नोआखाली