राधाबाबा के अपने अग्रज बन्धुओं को पत्र पूज्य बाबा के छायावत् भाईजी के साथ रहने के नियम का जब उनके अग्रज बन्धुओं को पता लगा तो उन्हें बड़ा विस्मय हुआ। वे बाबा के उद्भट-विद्वत्व, अटूट वेदान्त-निष्ठा एवं सन्यास के कठोर नियमोंके पालन से भाँति-भाँति परिचित थे। अपने ऐसे अनुज को एक बनियेके साथ निरन्तर रहने के कारण को वे ठीक से हृदयंगम नहीं कर पा रहे थे। समय-समय पर पत्र लिखकर पू० बाबा से अपनी शंकाएँ निवारण के लिये प्रश्न किया करते थे। पू० बाबा ने उनको जो उत्तर लिखे उन पत्रों के कुछ अंश नीचे दिये जा रहे हैं।श्रावण