रंगमंच का इतिहास शैलेंद्र बुधौलिया भारतीय रंगमंच प्रायः सभी भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वान संस्कृत नाटक और रंगमंच का धार्मिक भूमि से उदय और विकास मानते हैं । अकेले प्रोफेसर जागीरदार हैं, जिन्होंने कि इन सारे धार्मिक विचारों का खंडन कर यह बताया कि आर्य जाति की एक शाखा भरत या भूत से यह कला उदित हुई है। आर्य पुरोहितों ने भरत को शूद्र कहा और नाट्य शास्त्र के अनुसार भरत के सौ पुत्रों को ब्राह्मणों ने श्राप भी दिया। वस्तुतः यह सब कुछ पुराण हैं, मिथ है, तथा इसका संबंध दुनिया के सब देशों के रंगमंच से जुड़ा है। किंतु