अकेली - भाग 8

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फुलवंती के मुँह से उसके भाइयों के मनसूबों के बारे में सुनकर गंगा ने उसे गले से लगा लिया और अपनी आँखों से टपकते हुए आँसुओं को पोंछते हुए बोली, "फुलवंती तू चिंता मत कर। मुझ में इतनी शक्ति है कि मैं ऐसे अमानुष लोगों का मुकाबला कर सकती हूँ। मैं जानती हूँ, मैं अकेली हूँ, बेसहारा हूँ, साथ ही जवान हूँ। मुझे ऐसे हालातों से निपटना ही होगा। मेरे बापू जब भी किसी औरत पर अत्याचार या बलात्कार का समाचार सुनते थे तब कहते थे कि शालू और गंगा अपनी रक्षा ख़ुद करना सीखो। बचपन में सीखे हुए कुश्ती