।।। विदाई ।।। (13) जाना ही है तो जाओ । जो रुक ना सको तो जाओ ।। नियति गमन है जाओ । पर शपथ मिलन की खाओ ।। जाने से तुमको रोक सकूं मेरा क्या हक है मिलन एक संयोग बिछुड़ना आवश्यक है आज बिछुड़ने से पहले तुम गीत प्रीत के गाओ जाना ही है तो जाओ ......... महक उठे घर आँगन सारा महके क्यारी क्यारी पुलकित प्रांण पखेरू महकें महके हर फुलवारी जहाँ रहो जैसे भी हो फूलों सी गंध लुटाओ जाना ही है तो जाओ .......... जाने फिर कब मिलें पुराने संगी साथी