।।। दिल की बात ।।। (5) .................. जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात । कोई भी मरहम न दे सका सभी से मिले मुझे आघात ।। जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात ।। हंसी है पलभर की मेहमान छलों का छाया घना वितान । गम के गीत सुनाता नित्य दर्द के हैं लाखों एहसान ।। हुआ है कोईबार यैसा भी, संग संग जागा सारी रात । जुवां पर आकर थम जाती है कैसे कह दूँ दिल की बात ।। समझ न पाओ परिभाषा न