मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 35

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भाग 35खान साहब पाँचों वक्त के नमाज़ी थे। जब से ये ऐलान जारी हुआ था उनका मस्जिद जाना छूट गया था। दिन-रात वो उसी चिन्ता में घुले रहते थे। ये ऐलान उनके लिये बहुत बड़ा सदमा था। जुह़र की नम़ाज के वक्त उन्हें मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से रोका गया था। वह अपनी इस बेईज्ज़ती को बर्दाश्त नही कर पाये थे और अन्दर-ही-अन्दर घुट रहे थे।परिवार के कुछ रिश्तेदार थे जो वाकई उनका साथ दे रहे थे। वैसे ज्यादातर लोग तो हमदर्दी दिखाने के बहाने राज जानना चाहते हैं या जख्म कुरेदने का लुत्फ उठाते हैं। इन सब बातों का