मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 30

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भाग 30उसने अपने फैसलें की धार को तेज किया। जिसकी चमक उसकी आँखों में साफ दिखाई दे रही थी। दालान के उस हिस्से में पहुँची जहाँ पर फूफी जान और अब्बू जान बैठे गुफ्तगूं कर रहे थे। "अब्बू जान आज हमने एक फैसला कर लिया है हम अपनी आबरू से खेलने वालों को छोड़ेगें नही। अपने बच्चे के कातिल को आजाद नही घूमने देंगें। हम अपनी ख्वाबों की बिखरी हुई किरचों को फिर से समेटेगें अब्बू जान! , हम हारेगें नही, हमें हराना है। उन्हे जिल्लत की जिन्दगी जब तक नही दे देते हमें चैन नही आयेगा। अब्बू जान, आप