सोने की हथकड़ी

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वाजिद हुसैन की कहानी अंग्रेज़ो की हुकूमत थी। बुंदन का परिवार अमीर नहीं था। बहुत समझदार भी नहीं था। पर परले दर्जे का मांसाहारी था। बुंदन का स्कूल जाने का समय आया तो दादा ने कहा, 'पढ़ाई की कोई ज़रूरत नहीं है, पढ़ाई आदमी को बुज़दिल बना देती है।' उसके अब्बू ने भी रट्टू तोते की तरह इन्हीं शब्दों को दोहराया। उसकी मां पढे- लिखे घराने से ताल्लुक रखती थीं। उनके पापा तहसीलदार थे। उनका संबंध संसार के बड़े ऊंचे ओधे वाले लोगों से जुड़ता था। वह शौहर की दरिंदगी से पक चुकी थी, पर कभी शिकायत नहीं करती थी।