त्रिवेणी की तीन प्रमुख धाराओं का मिलन

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============= त्रिवेणी अर्थात तीन ऐसी वेगवती धाराएँ जो मिलती हैं जाकर एक में और घुलमिलकर  एक रंग की बन जाती हैं | जीवन की राहें भी कुछ ऐसी ही हैं, कभी थिरकती चाल से चलकर, कभी हिचकोले खाकर, कभी थोड़ी देर ठिठककर एक नया धरती और आसमान का अहसास देती हैं  | त्रिवेणी की इन तीन पावन गहराई के भाव में से प्रस्फुटित रचनाओं की तारतम्यता मन को एक वेग देती है, विवश करती है कुछ सोचने के लिए | मनुष्य के मन में जो अथाह गहराई है वह इस त्रिवेणी से कहाँ कमतर है जो कभी हिचकोले खाती है,