अपना आकाश - 21 - सही प्रतीत होने वाली कहानी

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अनुच्छेद- 21 सही प्रतीत होने वाली कहानीअपराह्न मंगल शहर जाने लगे तो भँवरी ने कहा, 'गेहूँ में डालने के लिए दवा ले लीजिएगा।' वह छोटी सी डेहरी में गेहूँ भर चुकी है। घुन से बचाने के लिए दवा चाहिए। कई तरह की दवाएँ बाजार में बिक रही हैं। अनेक दवाओं को प्रतिबन्धित कर दिया गया है पर चोरी छिपे लोग बेचते खरीदते हैं। बाजार से गेहूँ में डालने की दवा लेकर मंगल नागेश की दूकान पर पहुँचे । आज वे मिल गए। मंगल की पीड़ा सामने आ गई। 'लाला जी, आपने पैदावार क्या देखी, भाव ही खा गए।' 'भाव पर