युगांतर - भाग 33

  • 3.1k
  • 1.8k

ग़म का अँधेरा खुशियों के उजाले को लील जाता है। यशवंत का बाहर आना-जाना बंद कर दिया गया, लेकिन जब उसे नशा नहीं मिलता, तो वह तड़पता और उसे तड़पते देख माँ का कलेजा फटता, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी। न उससे बेटे को तड़पते देखा जाता और न ही बेटे को नशा खाने की छूट दी जा सकती थी। यशवंत ने उसे नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल करवाने का फैसला किया। जिस दिन उसे नशा मुक्ति केंद्र छोड़ना था, रमन भी साथ गई। नशा मुक्ति केंद्र को देखकर वह और दुखी हुई। बड़े लाड़-प्यार से पला और