बालमन की संवेदना ---डॉ.वीना शर्मा बालमन की संवेदनशील अभिव्यक्ति से जुड़ाव ============== जीवन की पगडंडी पर चलते हुए न जाने कितने रास्ते ऐसे आते हैं जहाँ मानव-मन अधिक संवेदनशील हो उठता है | मनुष्य में संवेदना न हो,ऐसा तो हो ही नहीं सकता क्योंकि वह संवेदना से बना है किन्तु कभी ऐसी परिस्थिति भी आती है कि मनुष्य अधिक संवेदनशील हो उठता है | यह स्थिति तब अधिक संताप दे जाती है जब परिवार में बुजुर्गों की स्थिति पर उनकी तीसरी पीढ़ी की दृष्टि पड़ती है | हम सब इस सत्य से वकिफ़ हैं कि बच्चे मन के सच्चे और