मेरे मुमुक्षु अवचेतन मन की, मुक्त यानी पूर्ण मृत निराकार चेतन मन के प्रेम पूर्ण आमंत्रण की प्रतिक्रिया ..!!मैं ऐसे वाहन चालक सा हूँ, जिसके हिसाब सें वाहन नहीं बल्कि जो असहाय होने से वाहन के द्वारा बहुत बार चलाया जा रहा हैं।जो जितना अधिक मुझसें, अपनें वाहन को नियंत्रित करने में समर्थ; क्या वों उतना ही मेरा राजा होने के पात्र नहीं?क्या मैं उनकी प्रजा स्वयं को जानने और समझने से मान सकता हूँ?बस पढ़ कर मन में जो आया, उसे व्यक्त कर दिया; असहाय महसूस कर रहा हूँ, इससें श्रेष्ठ कुछ करनें का सामर्थ्य नहीं जुटा पा रहा