योगी कृष्ण

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  एकबार मधुमंगल के मुँह से राधारानी की प्रशंसा सुनकर श्यामसुन्दर राधारानी से मिलने के लिए अत्यधिक अधीर हो गए। उन्होंने बाँसुरी उठाली और आत्मविभोर हो राधारानी को पुकारती एक मधुर धुन छेड़ दी। राधारानी भी उनकी बाँसुरी की धुन से परम व्याकुल हो गई। उन्होंने श्री विशाखा जी को श्यामसुन्दर की खोज में भेजा। श्री विशाखा जी को देखते ही श्यामसुन्दर ने उनसे विनती की कि एक बार राधारानी से मिलवा दे। विशाखा जी कुछ देर श्यामसुन्दर की परीक्षा लेने लगीं। वो बोली कि आपकी और मेरी सखी का क्या मेल। मेरी सखी आपसे क्यों मिले ? परन्तु जब