पाप-पुण्य - 1

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पुण्य पाप की इतनी सारी बातें सुनने को मिलती हैं कि इनमें सच क्या है ? वह समाधान कहाँ से मिलेगा ? पाप-पुण्य की यथार्थ समझ के अभाव में कई उलझनें खड़ी हो जाती हैं। पुण्य और पाप की परिभाषा कहीं भी क्लियरकट और शॉर्टकट (और संक्षेप में) में देखने को नहीं मिलती। इसलिए पुण्य पाप के लिए तरह-तरह की परिभाषाएँ सामान्य मनुष्य को उलझाती हैं, और अंत में पुण्य बांधना और पाप करने से रुकना तो होता ही नहीं। परम पूज्य दादाश्री ने वह परिभाषा बहुत ही सरल, सीधी और सुंदर ढंग से दे दी है कि दूसरों को सुख देने से पुण्य..