राजनर्तकी सुजान व कवि घनानंद

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[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] “हौंस हौंस फूलन के सारे सिंगार सजौं आँगन में फूलन कौ चदरा बिछाऊँगी। जा दिन सनेही घर आवै घन आनंद जू घर द्वार गली गली दियरा जलाऊँगी।” बृजभाषा में पंक्तिबद्ध ये भावनायें घन आनंद की प्रेयसी सुजान की ही है लेकिन इन्हें अभिव्यक्ति दी है गुजरात की प्रथम हिन्दी कवयित्री कुमारी मधुमालती चौकसी ने। कवि घन आनंद ने सुजान से अपने प्रेम की अभिव्यक्ति राधाकृष्ण को प्रतीक मानकर की है। उनके छन्दों में बार-बार सुजान शब्द आता है। सुजान भी तो गायिका कवयित्री थीं। क्या उन्होंने भी विरह में छंद नहीं लिखे होंगे? यही सोचकर मधु