अनुच्छेद-४ तू कितनी भोली है? सायंकाल मंगल खाना खाकर बैठे। भँवरी से बताया कि बोरिंग और पंपसेट की व्यवस्था बैंक से हो जाएगी। अलग से कुछ नहीं देना पड़ेगा। मड़हा की थूनी से टंगी लालटेन जल रही थी। 'बोरिंग और मशीन का खर्चा तो ज्यादा होगा ?' भँवरी जिज्ञासु की तरह पूछ बैठी । 'बहुत ज्यादा नहीं, कुल बाईस हजार लगेगा।' 'इतना तुमको ज्यादा नहीं लगता वीरू के बाबू?" भँवरी को आश्चर्य हो रहा था। एक साड़ी का डेढ़ सौ रूपया दाम तुम्हें ज्यादा लगता है और यह बाईस हजार. ।' 'पर इससे हमारे पास सिंचाई का साधन हो जायगा।