अपना आकाश - 1

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'क' से कथा ?उपन्यास समाज का यथार्थ बिम्ब है विविधता से भरा एवं चुनौतीपूर्ण । उपन्यास लिखना इसीलिए समाज को विश्लेषित करना है। 'कंचनमृग', 'शाकुनपाँखी', ‘कोमल की डायरी' एवं 'मनस्वी' के पश्चात् 'अपना आकाश' मेरा पाँचवाँ उपन्यास है। कथा साहित्य ने एक लम्बी यात्रा तय की है। यह यात्रा विविधतापूर्ण एवं जटिल है। उपन्यासों ने मन की गहन गुत्थियों के साथ समाज के अन्तर्द्वन्द्रों को भी गहराई से उजागर किया है। उत्तर प्रदेश के मध्य एवं पूर्वीक्षेत्र में बसाव छिटके हुए हैं। एक ही ग्राम पंचायत में अनेक पुरवे होते हैं। यद्यपि कुछ बड़े गाँव भी हैं पर उनकी संख्या