उजाले की ओर –संस्मरण

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=============== स्नेहिल नमस्कार साथियों इस अधाधुंध दौड़ में भागते हुए अक्सर हम अपने जीवन की कुछ महत्वपूर्ण बातों को भुला देते हैं जिनमें प्रमुख हैं अपने बच्चों को समय न दे पाना, अपने माता-पिता को समय न दे पाना | हम देख ही रहे हैं कि बच्चों को जैसे-तैसे करके हम पाल लेते हैं तो बच्चे भी पिंजरे से उड़ने को व्याकुल रहते हैं और जैसे ही उन्हें समय मिलता है, वे उड़कर बहुत दूर चले जाते हैं | फिर हम उनको दोष देते हैं कि वे पास नहीं रहते, परवाह नहीं करते | समय परिवर्तित हो रहा है, स्वाभाविक