विवाह - एक पवित्र बंधन

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विवाह - एक पवित्र बंधन   माँ मैंने दिनेश को छोड़ने का मानस बना लिया है, आपके और पापा के कहने पर मैंने यह विवाह तो कर लिया, पर मगर अब और नही निभा पाउंगी । सीमा अपनी माँ से बोल रही थी न मुझे उनका रहन - सहन अच्छा लगता है न हर समय कल्पनाओं में डूबे रहना... सोच रही हूं दिनेश को छोड़ कर, घनश्याम से नाता कर लूं, सुख व आराम की जिंदगी तो बसर होगी, वरना दिनेश के साथ रहकर तो वही घिसी - पिटी सी जिंदगी ही गुजारनी पड़ेगी । ये क्या कह रही हो