सिमटी हुई दुनिया

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काज़ी वाजिद की कहानी-मार्मिक सुबह-सुबह जब सूरज की किरणें ओस की बूंदों को चूमती तो धरती जीवंत हो उठती। वायुमंडल हर्षोल्लास और आशा के स्वरों में भर जाता,औरतें घरेलू कार्य में लग जाती, मर्द काम पर निकल पड़ते और बच्चे स्कूल चले जाते। इस सब से बेख़बर मदरसे में मदरसेवासी अपनी सिमटी हुई दुनिया मैं व्यस्त रहते, नमाज़ पढ़ते और क़ुरान याद करते। उनके उस्ताद मौलवी मोहसिन उर्दू में 'नातें' यानी पैगंबर हज़रत मुहम्मद की तारीफ वाली शायरी रचते, सितार बजाते और संगीत की धुनें बनाते। उस चमत्कारिक मौलवी के पास रूहानी ताक़त थी। वह सितार बेहद कलात्मक रूप से