दक्षिण भारत और हिंदी

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तमिलनाडु में कोई हिंदी नही समझता।वहा के लोग अंग्रेजी समझते है। एक देश और एक भाषा।जिसे सम्पर्क भाषा कहते है होनी चाहिए।जिसे पूरे देश के लोग समझ सके।हमारे देश मे असंख्य भाषा है।कहते है हर दस किलोमीटर पर भाषा बदल बदल जाती है।हिंदी के अलावाआ तमिल,कन्नड़,मलायलम,भोजपुरी,अवधी, असमिया,बंगला,गुजराती, सिंधी,उर्दू,पंजाबी,कश्मीरी,हरियाणवी,बुंदेली,आदि अनेक भाषा है।इन सबका उद्गम संस्कृत से है।अंग्रेजी विदेशी भाषा है। हमारे देश का दुर्भाग्य रहा कि हमारे देश के कर्णधारों ने हिंदी को सम्पर्क भाषा का दर्जा न देकर उसके साथ विदेशी भाषा अंग्रेजी को जोड़ दिया।ऐसा हिंदी विरोध का बहाना लेकर किया गया।जिस तरह धर्म और जाति में समाज बंटा