यदि आपने : बखरी की कोठरी के ताखा में जलती ढेबरी देखी है। दलान को समझा है। ओसारा जानते हैं। गाँव के किनारे पर कचहरी (पंचायत) देखी है। गाँव के पनघट के पास बेरा दूसरे के दुवारे पहुंच के चाय पानी किये हैं। दांतुन किये हैं। दिन में दाल - भात - तरकारी व खिचड़ी खाये हैं। संझा माई की किरिया का मतलब समझते हैं। रात में दीपक व चिमनी और लालटेन जलाये हैं। बासक बाबा, तेजाजी, गोगाजी व पाबूजी आदि का स्थान आपको मालूम है। देव बाबा के स्थान पर डोक दिऐ हैं। तालाब (नाड़ी) के किनारे और बाग